गुजरात के सूरत में 12 साल के लड़के की दीक्षा का मामला कोर्ट पहुंच गया है। इंदौर में रहने वाले एक पिता अपने बेटे की दीक्षा रोकने के लिए सूरत कोर्ट में आवेदन दायर किया है। आज सुनवाई में शामिल होने बच्चे के माता-पिता दोनों अदालत पहुंचे थे। दीक्षा लेने जा रहे इस 12 वर्षीय बेटे के माता-पिता अलग रहते हैं। बेटा अपनी मां के साथ सूरत में रहता है, जबकि पिता इंदौर में रहते हैं। डिजिटल इन्विटेशन से पिता को हुई जानकारी
नाबालिग बेटे द्वारा दीक्षा लेने का डिजिटल इन्विटेशन वायरल हो गया था। इससे ही बच्चे के पिता को भी जानकारी हुई। पिता ने तुरंत एक वकील के जरिए सूरत कोर्ट में बेटे की दीक्षा रोकने की याचिका दायर की थी। आज माता-पिता एक साथ कोर्ट में पेश हुए। बच्चे के माता-पिता की शादी 2008 में हुई थी, लेकिन फिलहाल वे अलग-अलग रहते हैं। बाल दीक्षा का विरोध करते रहे हैं बाल अधिकार कार्यकर्ता
दशकों से, बाल अधिकार कार्यकर्ता इस आधार पर बाल दीक्षा का विरोध करते रहे हैं कि नाबालिगों में यह तय करने की क्षमता नहीं होती कि उन्हें मठवासी जीवनशैली अपनानी है या नहीं। बच्चे जैन भिक्षु या भिक्षुणी बनने के लिए भौतिक दुनिया का त्याग करते हैं, एक कठिन, कष्टकारी जीवन जीते हैं। इस कष्टकारी जीवन में दिन में एक बार भोजन करना, कभी न नहाना, नंगे पैर रहना और बिजली सहित सभी आधुनिक तकनीक और सुविधाओं को त्यागना शामिल है। कभी-कभी आठ साल की उम्र तक के बच्चों को मठ में शामिल किया जाता है। इस पर कानूनन रोक लगाई जानी चाहिए।